रविवार, 16 दिसंबर 2007

हार्दिक स्वागत है

साहित्य-समीक्षा में पधारने वाले समस्त विद्वज्जनों का हार्दिक स्वागत है
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह चिट्ठा साहित्य की विभिन्न विधाओं की साहित्यिक एवं शास्त्रीय समीक्षा के लिए समर्पित है । साहित्य की विभिन्न विधाओं की पूर्वाग्रह-रहित साहित्यिक एवं शास्त्रीय समीक्षाएं सादर आमंत्रित हैं ।
आनंदकृष्ण

8 टिप्‍पणियां:

Rahul Upadhyaya ने कहा…

कृपया मेरी इस कविता की समीक्षा करे।

सद्भाव सहित,
राहुल

अमर प्रेम
राहुल उपाध्याय

जब जब तुम से मिलने आता हूं
तो सोचता हूं
तुम न मिलो तो ही अच्छा है
जब जब तुम से मिलता हूं
तो सोचता हूं
तुम जुदा न हो तो ही अच्छा है

मैं इतने दिनों तक
हैरान था
परेशान था
कि तुम ने मुझे स्वीकारा नहीं
तो क्यूं ठुकराया भी नहीं?

अब समझ में आया कि
असली प्यार तो वही है
जिसमें चाहत अभी बाकी है

तुम मुझसे मिलती रहना
मगर मेरी हरगिज़ न बनना

अब समझ में आया कि
असली प्यार तो वही है
जो वर्जित है

तुम मुझसे मिलती रहना
मगर वैध रिश्ता हरगिज़ न बनाना

सच तो यहीं है कि
प्रेमी-प्रेमिका के मिलाप के साथ ही
अक्सर प्रेम कहानी खत्म हो जाती है

तुम स्वीकारती
तो चाहत खत्म हो जाती
तुम ठुकराती
तो नफ़रत हो जाती
ये आग जो लगी हुई है
इसे बनाए रखना
शांत कर के
इसे राख हरगिज़ न होने देना

मैं चोरी-छुपे
सब के सामने
तुम से मिलता रहूंगा
तुम्हे निहारता रहूंगा
तुम्हे चाहता रहूंगा

पर कभी नहीं कहूंगा
कि तुम बहुत सुंदर हो
कि तुम मेरे दिल में बसी हो
कि मुझे तुम से प्यार है

क्यूंकि जो बात हम कह नहीं पाते
वो दिल, दिमाग और ज़ुबान पर
हमेशा रहती है

अगर कह दिया तो
भूल जाउंगा कि कभी
मैंने तुम से ये कहा था

न कहू तो
हमेशा याद रहेगा कि कभी
मैंने तुम से ये कहा नहीं

Udan Tashtari ने कहा…

स्वागत है, भाई. अब आगे कुछ लिखा जाये.

श्रद्धा जैन ने कहा…

kuch bhi nahi kyu aisa?

aapki Dr bashir badra ji ke saath photo dekhi
aapki ruchi bhi dekhi
magar kuch bhi padhne ke liye nahi tha blog par
koikhas wajah ?

सुनीता शानू ने कहा…

आपको व आपके पूरे परिवार को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ-कामनाएं...
जय-हिन्द!

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

PRIY AANAND URF GHOR AALASE
EK BLAAG TAREEKE SE NAHEEN CHALAA RAHE HO GHOR APARADH SAMEER BHAI,MAHRNDR MISHR,OR SABHEE JKABALPURIE BLOGAR KAL AALASEE BLAGARON KE KHILAAF MORCHA KHOL RAHEN HAI

Amit Kumar Yadav ने कहा…

आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

kaafi baudhik parivesh rakha hai,prashansniye kaarya hai......

साळसूद पाचोळा ने कहा…

न कहू तो
हमेशा याद रहेगा कि कभी
मैंने तुम से ये कहा नहीं
...
.
sahi hai sahi..
.
keep it up